बुधवार, 25 जनवरी 2012

गण पर भारी तंत्र फिर कैसा गणतंत्र

 
आज 26 जनवरी गण-तंत्र दिवस के पावन मौका पर पर यह लिखते हुये काफी अफसोस होता है। पर यह भारत की हकीकत है। आज जब देश के अधिकांश भागों में अलग-अलग चरम-पंथी या अलगाव वादी विदेशी शक्तियों के साथ मिलकर देश के विभाजन के लिए दिन-रात प्रयास रत हैं बावजूद इसके ऐसे तत्वों को कोई जन-समर्थन नहीं मिल पा रहा है तो इसके लिए हमारी भारतीय सेना और भारतीय न्याय पालिका बधाई के पात्र है जिनके कर्त्तव्य निष्ठा और समर्पण ने भारतीय गण को भारत एवं भारत के संविधान से जोड़ रखा है। वरना राज ठाकरे, दिग्विजय सिंह, सोनिया गाँधी, जैसे नेताओं की लम्बी फेहरिस्त है जो अपने फायदे के लिए देश को बांटने में लगे है। 
                   क्रमशः:      

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