आप करो तो ठीक हम बोलें तो गुनाह है । कांग्रेस की राजनीति और रणनीति शायद यही है। मेरे इस कथन को कांग्रेसी शायद देश द्रोह भी बताने लगे किंतु यह तो सभी भारतीय जानते है कि जब-जब भी देश के बहुसंख्यक लोगों ने ( यहाँ बहुसंख्यक का अभिप्राय जाति या धर्म से नहीं है) किसी भी मुद्दे पर एकता दिखाई तो कांग्रेस पार्टी ने लोगों को ठेंगा बताया है। मामला चाहे भारत में कश्मीर के विलय का हो , स्व-लाल बहादुर शास्त्री के मौत के रहस्य का हो, आपात काल का हो , भारत चीन युद्ध में हिन्दी- चीनी भाई-भाई के नारें का हो , 1971 के भारत पाक युद्ध में गुलाम कश्मीर के वापस पाने के मौका खोने का हो , विदेश से काला धन लाने का हो , इत्यादि कि लम्बी फेहरिस्त है। सभी माम लों में कांग्रेस ने आम जन के भावना ओं को आहत किया है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होंगी कि अंग्रेजों के द्वारा स्थापित कांग्रेस पार्टी भले ही आजाद भारत का प्रतिनिधित्व करती आ रही है किंतु इसके सभी नेताओं की सोच आज भी उपनिवेश काल के अंग्रेजों के समान है। इस जगह किसी शायर की यह पंक्ति "हमें अपनों ने लूटा गैरों में कहा दम था , हमारी कश्ती डूबी वहाँ जहाँ पानी कम था" बिलकुल सटीक बैठ्ती है ।
अखबार में प्रकाशित खबर की कतरन |
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