सोमवार, 27 फ़रवरी 2012


नाग मानव सा विचित्र बच्चा पैदा हुआ और मर गया 
सम्राट कुमार   
कांटी नगर पंचायत के वार्ड संख्या 3 में सोमवार को एक नाग मानव सा विचित्र बच्चा पैदा हुआ। बच्चों के लोकप्रिय नायक नागराज के दोहरे नक्श की तरह का यह बच्चा लोगों के लिए कौतूहल का विषय बना गया है। इस घटना की खबर जंगल की आग की भाँति फैल गयी और सैकड़ों की संख्या में लोग उसे देखने के लिए उमड़ आये। किंतु वह विचित्र बच्चा जन्म के मात्र बीस मिनट के अन्दर मर गया। 
                              घटना घुमंतू की तरह जीवन यापन करने वाले धाम जाति के कांटी नगर पंचायत स्थित वार्ड संख्या 3 के फुलमत स्थान के निकट अस्थाई कैम्प की है। इस कैम्प में रह रहे बाडा महतो की पत्नी हीला देवी ने सोमवार सुबह 7 बजे एक बच्चे को जन्म दिया। दाई के द्वारा कैम्प में ही प्रसव कराया गया था।  किंतु बच्चे को देख कर प्रसव कराने आई दाई घबरा गई । नवजात शिशु का सर से कमर तक का भाग बिल्कुल मानव की तरह था किंतु कमर से नीचे के भाग में जाँघ, पैर की जगह साँप के पुछँ की तरह एक मोटा पुछँनुमा माँस का सक्रिय भाग  था।  इसकी जानकारी होते ही सैकड़ों की संख्या में लोग बच्चे को देखने के लिए उमड़ पड़े । कोइ मोबाइल से तो कोइ अन्य साधन से बच्चे की फोटो खीचनें लगे। जितने लोग उतनी ही तरह की बात होने लगी। इसी दौरान करीब बीस मिनट के बाद बच्चे ने दम तोड़ दिया। जिसे उसके परिजनों ने बाद में दफना दिया ।  किंतु इसकी चर्चा जारी है। 
क्यों पैदा होते है विचित्र बच्चे
                                               इस विचित्र बच्चे के बाबत काँटी प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र के प्रभारी चिकित्सक डा. यु.पी.चौधरी ने बताया कि ऐसा बच्चा  जेनेटिक हार्मोनल  के अनबैलेंस होने के कारण होता है। इसे विचित्रता नहीं अपितु शारीरिक अपंगता कहना ज्यादा उचित होगा। ऐसा बच्चा सोसीयीयो इकोनोमिक यानी बच्चे के गर्भ में रहने के दौरान जच्चा-बच्चा के समुचित एवं पर्याप्त पोषण नहीं होने के कारण होता है।जिसके फलस्वरुप बच्चे के शरीर का विकाश नही हो पाता है और अपंगता  बच्चे के जन्म के समय विचित्रता लोगों के लिए बन जाती है।    

      
                                        

बुधवार, 1 फ़रवरी 2012

केन्द्र का शासकवर्ग यौवन अवस्था की चंचलता में , जनता का करे कौन विचार


कहते है कि यौवन अवस्था में मन चंचल होता है, और विचार कभी स्थिर नहीं रहते है, और इस उम्र में कभी यह करु यह नहीं करु का विचार  बसंत रितु के उमड़-घुमड़ बादल की तरह आता-जाता रहता है। ठीक यही सब कुछ केन्द्र की सत्ता में आसीन कांग्रेस गठबंधन सरकार के साथ भी हो रहा है। कहने को तो 79 बसंत देख चुके हमारे प्रधान मंत्री और उनके मंत्रि-मंडल के सहयोगी उम्र तन प्रोढ़ है किंतु जन आकांक्षा के अनुरूप अब तक वैचारिक, सैद्धांतिक, या निति गत रुप से अपने को प्रोढ़ साबित नहीं कर सके है।यही कारण है कि जनता की गाढी कमाई से जमा धन भांडार का अपव्यय सरकार की दिनचर्या बन गई है। चाहे वह घोटालो के रुप में हो, निर्णय बदल ने के रुप में हो या शक्तिशाली बनने के लिए किसी अन्य देश में एक दशक पुर्व इस्तेमाल की गई तकनीक को अपना ने की हो, हर जगह मार आर्थिक रुप से जनता को ही सहनी पड़ रही है। मामला चाहे कभी बाबा रामदेव की भ्रष्टाचार विरोधी रैली में अर्द्द्-रात्री मे लाठी चलवाकर निर्दोषो की पिटाई का हो, अन्ना के जन लोकपाल आंदोलन के दौरान अन्ना एवं उनके सहयोगी यो को जेल भेज कर फिर जना आक्रोश के मद्देनजर रात्री में ही रिहाई करवाने और आंदोलन के लिए जगह उपलब्ध करने का हो, चीन के बठते सीमा-पार घुस-पैठ पर चुप्पी का हो, बटला हाउस मुठ-भेड़ का हो, सेनाध्यक्ष की उम्र का हो या विकास के प्रतीक बन गये गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ का हो, गाहे-बगाहे हर बार सरकार, कांग्रेस और इसके करता-धर्ता चंचलता का परिचय देते रहते है। जबकि ऐसे मुद्दों पर जनता की चाह प्रौढ़ता और दिशा देने वाली कार्य  और बयान की होती है।